सोमवार, जनवरी 30, 2012

राष्ट्रिय विकास मंच बे दी नापू को श्रद्धांजलि

लुधियाना में अधिकतर नेता भूले राष्ट्रपिता का बलिदान दिवस
लुधियाना// 30 जनवरी// ब्यूरो रिपोर्ट: एक तरफ चुनावी शोर, एक दुसरे से आगे निकलने की होड़, वोट पक्के करने के लिए तरह तरह के हथकंडे और न जाने कितना कुछ. नियमों कानूनों और सख्तीयों के बावजूद गली गली में बही शराब की नदियों और न जाने इस तरह के कितने कुछ में बहुत से लोग, बहुत से दल भूल गए कि आज 30 जनवरी को महात्मा गाँधी जी की पुन्य तिथि भी है. कम से कम आज तो उन्हें याद कर लिया जाये. गौरतलब है कि महात्मा गाँधी जी को आज ही के दिन 1948 में गोली मार कर शहीद कर दिया गया था. हमसे उस महान व्यक्ति को छीन लिया गया था जिसने शांति की ताकत से ही ज़ुल्म और जबर की झुका दिया था.दुनिया की जानी मानी शक्ति के मालिक अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. अभी कुछ ही सप्ताह पूर्व अन्ना हजारे ने एक बार फिर साबित भी किया की अभी भी बापू की फिलासफी और अहिंसा के हथियार में दम है पर फिर भी 

लोग बापू को भूल गए. न तो कोई दल आगे आया और न ही कोई संगठन या नेता.
उस महान पिता के बलिदान दिवस को याद रखने में एक बार फिर पहल दिखाई राष्ट्रीय विकास मंच ने. उल्लेखनीय है कि मंच के राष्ट्रॉय प्रधान गुरिंदर सिंह सूद पुराने गांधीवादी नेता हैं. इस बार भी श्री सूद मंच के पदाधिकारियों, सदस्यों और अपने मित्रों को लेकर माता रानी चोंक स्थित गाँधी धाम पहुंचे और वहां मौजूद राष्ट्रपिता के बुत को बहुत ही स्नेह व सम्मान के साथ दूध से नहलाया. उस पर बहुत ही श्रद्धा से विशेष तौर पर मंगवाए गए फूल अर्पित किये और एक बार फिर संकल्प किया कि देश और समाज में शांति व बराबरी के लिए वे हर सम्भव कदम उठायेंगे लेकिन राष्ट्रपिता की ओर से दिखाए मार्ग पर अडिग रहते हुए. 
इस अवसर पर मंच के राष्ट्रीय महांमंत्री निर्दोष भारद्वाज, भी मौजूद थे और मुस्लिम समुदाय की प्रतिनिधिता करने आये मोहमद नदीम अंसारी भी. राम राज, सिमरजीत सिंह शैरी, हरजीत सिंह नंदा, कर्मजीत सिंह पप्पू, डाक्टर लाल सिंह, शिव राम सरोये, पप्पू सिंह, गुरप्रीत सिंह लवली, गुरमीत सिंह,  राजेश गाँधी, और कई अन्य सक्रिय सदस्य भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
 इस अवसर पर गाँधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें शहीद करने वाले नाथू राम गोडसे की सखत शब्दों में निंदा भी की गयी. महात्मा जी के मिशन को याद करते हुए वहां मौजूद गरीबों को चाये और बिस्कुट भी वितरित किये गए.          ###

रविवार, जनवरी 29, 2012

मामला डेरा सिरसा सिरसा में हाजिरी भरने का

खालसा पंचायत ने की ऐसे नेतायों को अकाल तख्त पर तलब करने की मांग
लुधियाना// 28 जनवरी// गुलशन कुमार
शिरोमणी खालसा पंचायत के नेतृत्व में पंथक संगठनों ने श्री अकाल तख्त से मांग की है कि वोटें प्राप्त करने के लिये जिन जिन सिख नेताओं नें डेरा सिरसा के प्रमुख बाबा की हाजिरी भरी है उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किया जाये। इस सबंधी कन्वीनर शिरोमणी खालसा पंचायत भुपिंदर सिंह निमाणा ने कहा कि डेरा सिरसा प्रमुख के खिलाफ 17 मई 2007 को पांच तख्तों के जथेदार साहिबान द्वारा समूची सिख कौम की भावनाओं की तर्जमानी करता बायकाट का हुक्मनामा जारी किया गया था जिसमें डेरा प्रमुख के साथ धार्मिक , सभ्यिाचारक ,भाईचारक ,राजनीतिक सांझ न रखने क ा हुक्म जारी किया गया था। परन्तु गत दिनों जिन राजनीतिक पार्टीयों के नेताओं द्वारा हुक्मनामे की उलंघना की गई है। जिस में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल प्रमुख है उनको तुरन्त आकल तख्त साहिब पर किया जाये। उन्होंने गत दिनों जो डेरा सिरसा प्रमुख को प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल दोनों बाप-बेटे नें डेरे प्रमुख से लिखती रूप में पिछली गलतियों की माफी मांगी गई है और कहा कि पंजाब में अकाली सरकार के सता में आने पर डेरे के प्रोग्रामों को खुली छूट दी जायेगी। स: निमाणा ने कहा कि अगर यह झूठ है तो बादल श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर इसका खंडऩ करें अगर यह सही है तो जथेदार साहिब श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे से भगौड़े हुऐ इन नेताओं को अकाल तख्त पर तलब करके सख्त सजा दिलाये । खालसा पंचायत समूचे सिख जगत को भी बादल की दोगली नीति और लूम्बड़ चालों से बचनें की अपील करता है। स: निमाणा ने कहा कि फखरे-ऐ-कौम का खिताब हासिल करने वाले बादल नें डेरे पर जाकर सिखों के दिलों को ठेस पहुंचाई है और बाबा द्वारा किये गये ऐलान के पश्चात जथेदार साहिबान को बादल से स्पष्टीकरन लेने चाहिये। 

शनिवार, जनवरी 28, 2012

कडवी हकीकतों के रूबरू कराते सादगी भरे शब्द


गाँधी के गुजरात से मेहुल मकवाना की एक कविता 
जैसे मेरे पास भी एक योनि है…सोनी सोरी
जज साहब,
मेरे साल तेंतीस होने को आये लेकिन,
मैंने कभी कारतूस नहीं देखी है !
सिर्फ बचपन में फोड़े दीपावली के पटाखों की कसम,
आज तक कभी छुआ भी नहीं है बन्दुक को !
हा, घर में मटन-चिकन काटने इस्तेमाल होता,
थोडा सा बड़ा चाकू चलाने का महावरा है मुझे !
लेकिन मैंने कभी तलवार नहीं उठाई है हाथ में !
में तो कब्बडी भी मुश्किल से खेल पानेवाला बंदा हूँ,
मल्ल युद्द्द या फिर कलैरीपट्टू की तो बात कहा ?
प्राचीन या आधुनिक कोई मार्शल आर्ट नहीं आती है मुझे !
में तो शष्त्र और शाष्त्र दोनों के ज्ञान से विमुख हूं !
यह तक की लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी भी पड़ोसी से मांगता हूँ !

लेकिन मेरे पास दो हाथ है जज साहब,
महनत से खुरदुरे बने ये दोनों हाथ मेरे अपने है !
पता नहीं क्यों लेकिन जब से मैंने यह सुना है,
मेरे दोनों हाथो में आ रही है बहुत खुजली !
खुजला खुजला के लाल कर दिए है मेने हाथ अपने !

और मेरे पास दो पैर है जज साहब !
बिना चप्पल के काँटों पे चल जाये और आंच भी न आये
एसे ये दोनों पैर, मेरे अपने है जज साहब !
और जब से मेंने सुना है
की दंतेवाडा कि आदिवासी शिक्षक सोनी सोरी की योनि में
पुलिसियों ने पत्थर भरे थे,
पता नहीं क्यों में बार बार उछाल रहा हु अपने पैर हवा में !
और खींच रहा हूं सर के बाल अपने !
जैसे मेरे पास भी एक योनि है और कुछ पैदा ही रहा हो उस से !

हा, मेरा एक सर भी है जज साहब,
हर १५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन,
बड़े गर्व और प्यार दुलार से तिरंगे को झुकनेवाला
यह सर मेरा अपना है जज साहब !
गाँधी के गुजरात से हूं इसलिए
बचपन से ही शांति प्रिय सर है मेरा !
और सच कहू तो में चाहता भी हूं कि वो शांति प्रिय रहे !
लेकिन सिर्फ चाहने से क्या होता है ?

क्या छत्तीसगढ़ का हर आदिवासी,
पैदा होते हर बच्चे को नक्सली बनाना चाहता है ?
नहीं ना ? पर उसके चाहने से क्या होता है ?
में तो यह कहता हु की उसके ना चाहने से भी क्या होता है ?
जैसे की आज में नहीं चाहता हु फिर भी ...
मेरा सर पृथ्वी की गति से भी ज्यादा जोर से घूम रहा है !
सर हो रहा है सरफिरा जज साहब,
इससे पहले की सर मेरा फट जाये बारूद बनकर,
इससे पहले की मेरा खुद का सर निगल ले हाथ पैर मेरे ,
इससे पहले की सोनी की योनि से निकले पत्थर लोहा बन जाए,
और ठोक दे लोकतंत्र के पिछवाड़े में कोई ओर कील बड़ी,
आप इस चक्रव्यूह को तोड़ दो जज साहब !
रोक लो आप इसे !
इस बिखरते आदिवासी मोती को पिरो लो अपनी सभ्यता के धागे में !
वेसे मेरे साल तेंतीस होने को आये लेकिन,
मैंने कभी कारतूस नहीं देखी !
कभी नहीं छुआ है बन्दुक को ,
नहीं चलाई है तलवार कभी !
और ना ही खुद में पाया है
कोई जुनून सरफरोशी का कभी !
– मेहुल मकवाना, अहमदाबाद, गुजरात
94276 32132 and 84012 93496



मंगलवार, जनवरी 10, 2012

करोडपति हो कर भी भरा साईकल पर नामांकन

सिद्धू की धर्मपत्नी ने भरा अनोखे अंदाज से नामंकन 
        गजिंदर सिंह किंग, अमृतसर 10 जनवरी, 2012
अमृतसर में सासंद नवजोत सिंह सिद्धू की धर्मपत्नी डाक्टर नवजोत कौर सिद्धू ने अपना नामंकन पत्र आज अमृतसर के पूर्वी हलके से भरा. साथ ही यह नामंकन पत्र भरने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी खुद आपने घर से साइकिल पर गए. अमृतसर में नामंकन पत्र का दौर और एक अलग ही अंदाज़ का नज़ारा देखने को मिला. आज जब नवजोत सिंह सिद्धू एक अलग ही अंदाज़ में दिखे, दरअसल सासंद नवजोत सिंह सिधु की पत्नी नवजोत कौर अमृतसर के पूर्वी हलके से विधान सभाके चुनाव लड़ रही है, जिस के चलते आज वह नामंकन पत्र भरने के लिए साइकिलपर सवार हो कर गयी, इस मौके पर बी.जे.पी. के कई बड़े नेता उन के साथ मौजूद थे. यह ही नहीं इस मौके पर नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी पत्नी के साथ थे. इस मौके पर जब नवजोत कौर ने अपना नामंकन पत्र भरा और जिस मेंउन्होंने 11,50,030 का इन्कम टैक्स भरा है, जिन में नकदी और जेवरात की कीमत 77,27,469.44 बतायी है. साथ ही उन के पास व्यापारिक और अव्यापारिक ज़मीन की कीमत 2,38,94,000 की है.  सब से हैरान कर देने वाली बात यह है, कि नवजोत कौर के नाम पर कोई भी वाहन नहीं है. यह ही नहीं इस के मुकाबले में उन के पति 34,17,892 रूपए की इन्कम टैक्स भरी है और उन के पास 31 लाख रूपए नकद है और सिद्धू के पास अपनी निजी 6 लक्सरी गाड़ियां है और उनके नकदी, जेवरात और गाड़ियों की कीमत 7,13,16,511 रूपए है, साथ ही सिधु के पास ज़मीन जायदाद की कीमत भी 12,14,50000 रूपए है, कुल मिला कर सिद्धू परिवार जो कि अपने आप को साइकिल पर आता हुआ दिखा रहा है, लेकिन है एक करोड़ पति.वहीँ जब उन की पत्नी से यह सवाल पूछा गया कि साइकिल पर आने का उन का मकसद क्या है, तो उन्होंने इस के लिए महंगाई को जिम्मेदार बताया और कहा कि साइकिल सहेत के लिए अच्छा है, वहीँ उन्होंने कहा, कि आने वाले विधान सभा चुनाव में वह लोगों की सेवा करेंगी और जो नशे की सब से बड़ी समस्या है, उन को वह हल करेंगी.साथ ही यह अमृतसर का एक नया हलका है औरवह यहाँ पर जो गंदे पानी की समस्या है, उस को हल कर आम जनता को अपने साथ ले कर चलेंगी वहीँ इस मौके पर सांसद नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि यह उनके लिए फख्र की बात है, कि उन को गुरु नगरी की सेवा करने का मौका मिला है. साथ ही उन का कहना है, कि वह इलेक्शन कमिशन की तारीफ़ करते है, कि जो इस बार के चुनाव हो रहे है, इस में काले धन के साथ आम आदमी को लालच नहीं दिया जा सकता और उम्मीदवार अपने गुण वक्ता के आधार पर आगे आ रहा है और इस बार के चुनाव अपने आप में एक नई बात है और अच्छे कर्म और अच्छे इंसान इन चुनावों में सामने आ रहे है. वहीँ इस मौके पर कांग्रेस में पैदा हुईबगावत पर उन्होंने कहा, कि आज पंजाब में आज़ाद कांग्रेस पार्टी की शुरुआतहुई है फिलहाल राजनीति के क्षेत्र में जहाँ नवजोत सिंह सिद्धू अकेले थे,वहीँ आज उन की पत्नी भी राजनीति के मैदान में उतर आयी है और अब देखना यह होगा, कि राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू  की पत्नी कितनी कारगर साबित होती है और जनता के अखाड़े में अब यह देखना है, कि उन को कितनी कामयाबी मिलती है.