बुधवार, दिसंबर 19, 2012

सीबीआई द्वारा आरोप-पत्र दाखिल करना

3286 अनुरोधों में से कुल 1905 मामलों में अभियोजन हेतु मंजूरी दी
कार्मिक, लोक शिकायत तथा पेंशन मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा प्रधान मंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री श्री वी. नारायणसामी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के अनुरोध पर, लोक सेवकों पर अभियोजन को मंजूरी देना एक सतत प्रक्रिया है। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा उपलब्ध करवाई गई सूचना के अनुसार, पिछले तीन वर्षों अर्थात् 2009, 2010, 2011 और 2012 (31.11.2012 तक) के दौरान, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो को 3286 अनुरोधों में से कुल 1905 मामलों में अभियोजन हेतु मंजूरी दी गई है। 

अभियोजन को मंजूरी मिलने पर मामले बंद नहीं हो जाते हैं। इसके द्वारा जांच-पड़ताल किए मामलों में अभियोजन की मंजूरी प्राप्त होने के बाद केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो सक्षम अधिकारक्षेत्र के न्यायालय में आरोप पत्र दायर करता है और संबंधित न्यायालय अपने-अपने अधिकार क्षेत्र के अनुसार निर्णयात्मक कार्यवाही करता है। (PIB) 
सीबीआई द्वारा आरोप-पत्र दाखिल करना  
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वी कासोटिया/यादराम/अखलद-6223

सोमवार, मई 14, 2012

गृहमंत्री ने स्पष्ट कहा

आतंकवाद से निपटने के लिए संस्‍थागत व्‍यवस्‍था की आवश्‍यकता
देश में आतंकवाद का खतरा बड़े स्‍तर पर बरकरार है और इसका सामना करने के लिए हमें एक संस्‍थागत व्‍यवस्‍था की जरूरत है। स्थिति की ग‍ंभीरता को देखते हुए राष्‍ट्रीय आतंक निरोधी केन्‍द्र– एनसीटीसी के गठन में हर दिन की देरी खतरे को और बढ़ा रही है। केन्‍द्रीय गृहमंत्री श्री पी. चिदम्‍बरम ने आज सलाहकार समिति के सदस्यों से यह बात कही। उन्‍होंने कहा कि नक्‍सलवाद और पूर्वात्‍तर में उग्रवाद अब आतंकवादी रूख लेता जा रहा और इनका सामना करने के लिए हमें एक संस्‍थागत व्‍यवस्‍था की जरूरत है। श्री चिदम्‍बरम ने कहा कि आतंकवाद का सामना केवल पुलिस अभियान के तौर पर नहीं बल्कि हमें आतंक निरोधी संगठन की आवश्‍यकता है जिसमें देश की ताकत के सभी तत्‍व- कूटनीतिक, वित्‍तीय, जांच, खुफिया और पुलिस बल संगठित रूप से शामिल हों।

सदस्‍यों ने बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों और सीमापार आतंकवाद तथा नकली नोटों की तस्‍करी और उन्‍हें फैलाए जाने के प्रति चिंता जताई। उन्‍होंने वैश्विक आयाम ले चुके आतंकवाद का सामना करने के लिए एक मजबूत व्‍यवस्‍था बनाने पर जोर दिया । कुछ सदस्‍यों ने इस संदर्भ में एनसीटीसी को जल्दी अंतिम रूप दिए जाने की सलाह दी। सदस्‍यों ने हवाला फंड को भी बंद किये जाने की सलाह दी। सलाहकार समिति के सदस्‍यों ने अफीम और दूसरी नशीली दवाओं की बढ़ती समस्‍या और पंजाब में बढ़ते आतंकवाद पर भी चिंता जताई। उन्‍होंने इसे पाकिस्‍तान से जोड़ते हुए और इनका सामना करने के लिए कठोर उपाय सुझाए।

इससे पहले चर्चा की शुरूआत करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि स्‍थापित आतंकनिरोधी ढांचे में मल्‍टी एजेंसी केन्‍द्र (एमएसी) और सहायक मल्‍टी एजेंसी केन्‍द्रों (एसएमएसी), राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और राष्‍ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) शामिल है। नेटग्रिड तथा अपराध और आपराधिक तलाश नेटवर्क व्‍यवस्‍था स्‍थापित कर दी गई है पर आतंकनिरोधी केन्‍द्र अभी स्‍थापित नहीं किया जा सका है। उन्‍होंने कहा कि केन्‍द्र सरकार द्वारा राज्‍य पुलिस बलों के आधुनिकीकरण-एमपीएफ की समीक्षा की जा रही है और इसे 31 मार्च 2011 के बाद भी बढ़ाया गया है। योजना के दूसरे चरण की संकल्‍पना का काम भी शुरू हो गया है। एमपीएफ योजना के तहत वर्ष 2009 से 2011 तक 745 नये पुलिस थाने स्‍थापित किये गये है। इसके अतिरिक्‍त 17824 वाहन, 26465 बुलेट प्रुफ जैकेट और 107786 हथियार राज्‍यों और केन्‍द्र शासित पुलिस बलों को मुहैया कराए गये हैं। नक्‍सल प्रभावित इलाकों में निर्धनता से निपटने के लिए कई विकास परक योजनाएं समेकित कार्य योजना (आईएपी) के तहत चलाई जा रही हैं।

सरकार की नीति खुफिया जानकारी पर आधारित अभियान चलाकर आतंकवादियों, जासूसों, मॉड्यूलों के खतरों को निक्रिय करने की है। इस काम को केन्‍द्रीय और राज्‍य की सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों द्वारा समन्वित और सतत रूप से किया जा रहा है। इसके परिणामस्‍वरूप 51 पाक समर्थित आतंकवादियों/ जासूसी मॉडयूल को देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में पता लगाकर नष्‍ट किया गया है।

सलाहकार समिति की बैठक में श्री एच. के. दुआ (मनोनीत), आंधप्रदेश से कांग्रेस के श्री मोहम्‍मद अली खान, उत्‍तर प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के राज्‍यसभा सांसद विनय कटियार, बहुजन समाज पार्टी के उत्‍तर प्रदेश से श्री भीष्‍म शंकर उर्फ कुशल तिवारी, कर्नाटक से भारतीय जनता पार्टी के श्री डी.बी. चन्‍द्रेगौडा, मणिपुर से कांग्रेस के डॉ. थोकचोम मेनया, दिल्‍ली से कांग्रेस के लोक सभा सांसद श्री महाबल मिश्रा, गृहमंत्रालय में राज्‍यमंत्री श्री मुल्‍लापल्‍ली रामचन्‍द्रन और श्री जितेन्‍द्र सिंह शामिल हुए।  (पीआईबी )
11-मई-2012 20:12 IST

 

रविवार, अप्रैल 22, 2012

अनिल रजिमवाले ने लुधियाना में कहीं खरी खरी बातें

इन्कलाब न बटन दबाने से आयेगा और न ही थाने पर हमला करने से
लुधियाना में भी बहुत उत्साह से मनाया गया लेनिन का जन्म दिन
मानव समाज को दरपेश समस्याएं किसी दैवी शकित की तरफ से नहीं बल्कि मानव के हाथों मानव की लूट खसूट के कारन ही पैदा हो रही हैं। यह विचार आज लुधियाना में आयोजित एक विचार गोष्ठी में मुख्य वक्ता व मार्क्सवादी दार्शनिक कामरेड अनिल रजिमवाले ने रखा। इस गोष्ठी का आयोजन भारतीय कमियूनिस्ट  पार्टी की लुधियाना इकाई ने सोवियत संघ के संस्थापक व्लादिमीर लेनिन के जन्म दिवस के अवसर पर किया गया था. इसके साथ ही पार्टी विश्व भूमि दिवस को मनाना भी नहीं भूली। 
न्याय व  बराबरी पर आधारित भारत के विकास मार्ग की चर्चा करते हुए विचार गोष्ठी में इस बात पर चिंता  व्यक्त की गयी कि महंगाई, न बराबरी और बेरोज़गारी जैसी समस्याएं बहुत ही तेज़ी से विकराल हो रही है। इस हकीकत को स्वीकार करने के साथ ही मार्क्सवादी दार्शनिक कमरे अनिल रजिमवाले ने चेताया कि न तो कोई बटन दबाने से इन्कलाब आयेगा और न ही किसी थाने पर हमला करने से। इन्कलाब अगर आयेगा तो उसे आप और हम जैसे आम आदमी ही लायेंगे। उन्होंने इसके लिए बार बार कार्ल मार्क्स के हवाले दिए और याद  कराया कि कार्ल मार्क्स के बताए रास्ते पर चल कर ही इन्कलाब आएगा। 
इस बेहद गंभीर मुद्दे पर बहुत ही सहजता से लगातार बोलते हुए कामरेड अनिल ने बीच बीच में शायरी का पुट देते हुए समझाया कि सुबह होती है शाम होती है तो यह किसी दैवी शक्ति के कारन नहीं बल्कि प्रकृति और  विज्ञानं के कारण हुआ करती है। साम्यवाद के सिद्धांतों की विस्तार से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा हर विज्ञान ने मार्क्सवाद को और मजबूत किया, बार बार इसे सही साबित किया। इन्कलाब में हो रही देरी की तरफ संकेत करते हुए उन्होंने स्पष्ट किया की न तो बटन दबाने से इन्कलाब आने वाला है और न ही थाने पर हमला करने से इन्कलाब आएगा। 
ढांडस बंधाते हुए उन्होंने कहा कि सरमायेदारी से समाजवाद की तरफ जाता रास्ता लम्बा भी है और कठिन भी।  उन्होंने स्पष्ट किया कि हमारे लड़ने के कई तरीके हैं और जन संघर्षों का तरीका भी हमारा है। उन्होंने कहा कि इन्कलाब आयेगा और इस के लिए इन्कलाब के मार्क्सवादी सिद्धांत जन जन तक पहुँचाने होंगें। 
उन्होंने अपने लम्बे भाषण के बावजूद श्रोतायों को बांधे रखा। इंकलाबी सिद्धांतों के साथ साथ उन्होंने इतिहास की चर्चा भी की। उन्होंने अख़बार निकालने के काम को भी इकलाब के लिए सहायक बताया और तकनीकी विकास के सदुपयोग की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मोबाईल और इंटरनेट का उपयोग भी इस कार्य के लिए किया जाना चाहिए। इस सेमिनार में डाक्टर अरुण मित्रा भी थे, डी पी मौड़ भी और कामरेड विजय कुमार भी।  कई अन्य कामरेड भी इस मौके पर मौजूद रहे। ख़ास बात यह रही कि गंभीर सी लग रही इस विशेष संगोष्ठी में महिलाएं भी बढ़ चढ़ कर शामिल थीं।  -रेक्टर कथूरिया  

शनिवार, अप्रैल 21, 2012

मांगना मौत जैसा ही था पर उसने बार बार माँगा

गौरवगाथा  लुधियाना के जगदीश बजाज की
दान  की भावना  को मजबूत करते जगदीश बजाज 
रेलगाडी तेज़ी से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ रही थी. रात गहराने लगी तो थके टूटे मुसाफिर भी सोने की तैयारी करने लगे.  उस डिब्बे में एक जोड़ी भी थी जिसमें पुरुष को बहुत ही जल्द गहरी नींद आ गयी थी. उसके साथ सफ़र कर रही महिला यात्री की खों में भी नींद अपना रंग दिखाने लगी. इतने में ही एक टिकट चैकर आया और उसने उस महिला से टिकट माँगा. महिला यात्री पुरुष के कंधे को झंक्झौरते हुए जोर से बोली जीजा जी जीजा जी. पुरुष हडबडा कर उठा और बोला क्या बात है. महिला ने चैकर की तरफ इशारा किया और कहा टिकट..! पुरुष कोई रेलवे मुलाजिम था, उसने झट से अपनी जेब में से एक पास निकाला और चैकर के हवाले कर दिया. पास देख कर चैकर बोला श्रीमान इस पास पर आप अपनी पत्नी के साथ तो सफ़र कर सकते हैं लेकिन साली के साथ नहीं. पुरुष यात्री ने टिकट चैकर की ने सारी बात समझ कर उसे पूरे विस्तार से समझाया कि जब उसकी पहली पत्नी का देहांत हुआ तो परिवार वालों ने मेरी दूसरी  शादी  उसीकी बहन के साथ कर साथ कर दी जो रिश्ते में मेरी साली ही लगती थी. इस तरह मेरी यह प्यारी सी साली मेरी पत्नी बन गयी पर मुझे जीजा जी कहने की आदत इसे अब तक पड़ी हुयी है सो यह अब भी मुझे जीजा जी ही कहती है. यह कहानी सुनाते हुए उस बुज़ुर्ग के चेहरे पर एक नयी चमक, होठों पर कुछ  रूमानी सी मुस्कान और आँखों में हल्की सी शरारत आ गयी. कहने लगे मुझे भी बस आदत सी पड़ी हुयी है....छूटती ही नहीं...मैंने पूछा कैसी आदत...तो कहने लगे...यही...मांगने की आदत....बस मुझे पता चल जाये कि इसकी जेब में पैसे हैं...फिर मैं उन्हें निकलवा ही लेता हूँ.... कई बार इस आदत को छोड़ना चाहा छोड़ना चाहा पर यह आदत जाती ही नहीं. साथ ही वह ये भी बताते हैं कि मांगना आसान नहीं होता. सब कि औरत बन के रहना पड़ता है. हजारों झमेले सामने आते हैं. कई बार ऐसा होता है कि लोग सब के सामने रसीद बुक से पर्ची तो कटवा लेते हैं पर पैसे दिए बिना चले जाते हैं. उस हिसाब को सम्भालना, फिर उनके चक्कर लगाना और उनसे पैसे निकलवाना...सब बहुत मुश्किल है पर मैं करता हूँ.गौर तलब है कि अब तो इस आदत के कारण ही उनके बहुत से किस्से कहानियां भी अख़बारों में भी छप चुके. टीवी चैनलों पर उनके प्रोग्राम भी दिखाए जा चुके लेकिन यह आदत कभी कम नहीं हुयी. वह इस वृद्ध अवस्था में भी सक्रिय हैं. 
एक बार यह बुज़ुर्ग एक विशेष आग्रह पर महाराष्ट्र में रोटरी क्लब के एक कार्यक्रम में गए. बहुत जोर देने पर जब बोलने लगे तो वहां भी कहने लगे देखिये मुझे सब अनपढ़ समझते हैं लेकिन मैंने पीएचडी की हुयी है. वास्तव में यह एक ऐसा कार्यक्रम थ जिसमें सवाल जवाब भी साथ साथ हो रहे थे. सो इस वृद्ध व्यक्ति से भी सम्मान सहित सवाल किया गया कि आपने किस विषय में पीएचडी की है. वहां भी जनाब बिना किसी झिझक के जवाब देते हुए बोले जी मांगने में. मैं मांगने में एक्सपर्ट हूँ.  इसके बाद जैसे ही उन्होंने मांगने का कारण और लम्बे समय से चल रहा अपना  मिशन बताया तो वहां नोटों की बरसात होने लागिओ और देखते ही देखते  इस वृद्ध की झोली भर गयी. 
मेरी मुराद है लुधियाना के जानेमाने धार्मिक व्यक्ति जनाब जगदीश बजाज से जो गरीब बच्चों को पढाने के साथ साथ गरीब विधवा महिलायों को हर महीने राशन भी वितरित करते हैं.  गरीब लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कम्प्यूटर, सिलाई, कढाई और ब्यूटी पार्लर चलाने जैसे कई और प्रोजेक्ट भी चलाते हैं. यह सब होता है लुधियाना के सुभानी बिल्डिंग चोंक में स्थित ज्ञान स्थल मन्दिर में. इस चौंक  की कई इमारतों में फैले इस मन्दिर को इस तरह की मजबूती देने में जगदीश बजाज ने अपनी उम्र का एक बहुत सा हिस्सा इस तरफ लगा दिया. 
मैंने एक बार पूछा बजाज साहिब लोग इस उम्र में आराम करते हैं और आप सारा सारा दिन काम. सुबह 9 नजे से लेकर मन्दिर के कार्यालय में बैठना दुखी लोगों के दुःख सुननाऔर फिर उनके कष्ट हरने के लिए मांगने के लिए निकल पड़ना. इस मिशन को लेकर फेसबुक जैसे मंच का इस्तेमाल भी बाखूबी करना...आखिर यह लगन आपको कहाँ से लगी. बजाज साहिब का चेहरा कुछ गंम्भीर हो गया.उनकी आँखें कहीं दूर अतीत में झाँकने लगीं. बस कुछ ही पलों का अंतराल और फिर बोले बात बहुत पुरानी है. हमने एक जागरण रखा था. मैं पंजाब केसरी पत्र समूह के मुख्य सम्पादक विजय चोपड़ा जी के पास गया और उन्हें निवेदन किया कि आप इस जागरण में मुख्य मेहमान बन कर आने की कृपा करें. उनके पास वक्त नहीं था और मैं उन्हें बार बार वक्त निकलने  के लिए विनती कर रहा था. इतने में ही दो महिलाएं वहां आयीं और विजय जी ने अपने किसी कर्मचारी को इशारा किया की इन्हें आटे की दो थैलियाँ  दे दो. इसके साथ ही विजय जी मुझे मुखातिब हो कर बोले अगर आप इस तरह का कोई काम करें तो मैं सुरक्षा का खतरा उठा कर भी वक्त ज़रूर निकालूँगा. मैंने उन औरतों का दर्द सुना तो मुझे अहसास हुआ कि यह काम कितना आवश्यक है.  मैंने तुरंत हाँ कर दी. इस तरह सितम्बर 1991 से केवल 51  विधवा महिलायों को राशन की राहत देने से शुरू हुआ यह सिलसिला आज भी जारी है. आज  यहाँ से राहत पाने वाली महिलायों की संख्या 51 से बढ़ कर 900 के आंकड़े को भी पार कर चुकी है.बहुत से नाम अभी प्रतीक्षा सूची में हैं.सन 2000 में यहाँ लडकियों को कम्प्यूटर सिखाने, सिलाई-कढाई सिखाने और ब्यूटी पार्लर चलाने जैसे काम भी सिखाये जा रहे हैं तांकि वे आत्म निर्भर हो सकें. 
अपने इस मिशन के लिए कई बार उन्हें इम्तिहान की घड़ियाँ  भी देखनी पड़ी. सन 2006 की 26  अप्रैल को उनकी धर्म पत्नी शांति देवी का हार्ट अटैक के कारण देहांत हो गया. रस्म क्रिया की तारीख भी आठ मई की निकली और विधवा महिलायों को राशन वितरित करने की तारीख भी पहले से ही आठ मई घोषित थी.दुःख और संकट की इस घड़ी में भी जगदीश बजाज ने कर्तव्य को नहीं भुलाया. क्रिया आठ की जगह छह मई को ही करली गई पर राहत के इस कार्यक्रम में कोई तबदीली नहीं की गयी. फिर सन 2010 में 30 दिसम्बर के दिन उनकी एक बहू का देहांत हो गया. उस समय भी रस्म क्रिया  ८ जनवरी को आती थी लेकिन इस रस्म को भी दो दिन पूर्व अर्थात 6 जनवरी को ही पोर कर लिया गया ता कि आठ जनवरी को होने वाले र्स्शन वितरण कार्यक्रम में कोई भी तबदीली न हो.  मैंने कहा आप कैसे इंसान हैं...अपने परिवारिक सदस्य को अंतिम विदा कहने के लिए एक आध कार्यक्रम भी इध उधर नहीं कर सकते....मेरी बात सुन कर उन्होंने एक लम्बा सांस लिया और बोले मैं नहीं चाहता था कि जो इंसान इस दुनिय से चला गया उसका दिन मनाते समय कोई बद दुया दे या फिर यह कहे कि इस मौत ने तो हमारा काम चौपट कर दिया.
दुनियादारी  का इतना लिहाज़  और दुखी लोगों से इतनी गहरी सम्वेदना रखने वाले जगदीश बजाज का जन्म हुआ था 10 अक्टूबर 1935 को कामरेड राम किशन के पडोस में पड़ते एक मकान में. यह मकान कोट ईसे शाह में था. झंग का यह इलाका अब पाकिस्तान में है. सं 1947 में जब हालात बिगड़े तो इस परिवार को भी पाकिस्तान छोड़ना पड़ा. कभी अमृतसर, कभी जालंधर और कभी कहीं. गर्दिश के दिन थे. आखिर 1950 में लुधियाना में आ गये. तब से लेकर यहीं पर कर्म योग की साधना  में लगे हुए हैं. सरकारी नौकरी से अपना काम और फिर अपने काम से जन सेवा का यज्ञ. आज इस यज्ञ में योगदान देने वालों की संख्या भी बहुत बड़ी है और इससे राहत लेने वालों की संख्या भी. ज्ञान स्थल मन्दिर अब मानव सेवा संस्थान के तौर पर स्थापित हो चूका है. यहाँ सभी धर्मों के लोग बिना किसी भेद भाव के आते हैं.  अगर आप भी यहाँ आना चाहें तो आपका स्वागत है. आप कभी यहाँ आ सकते हैं.  --रेक्टर कथूरिया    

शनिवार, मार्च 10, 2012

डी डी जैन कालेज में भी दीक्षांत समारोह आयोजित

388 छात्रों को मिलीं डिग्रियां: डा. सी.एस.मीना थे मुख्य मेहमान


कैमरे की आंख:10 मार्च को लुधियाना के डी डी जैन कालेज में हुई कन्वोकेशन की कुछ झलकियाँ 
साधना जब सफल होती है और उसे मान्यता मिलती है तो साधना मार्ग में आये हुए सभी कष्ट भूल जाते हैं और दिलो दिमाग में रह जाती है एक ख़ुशी जिसकी बराबरी दुनिया के किसी भी सुख सुविधा में सम्भव ही नहीं होती. यह ख़ुशी व्यक्ति के अंग अंग से बोलती है. इस ख़ुशी की चमक आज फिर दिखाई दी लुधियाना में उन चात्रयों के चेहरों पर जिन्हें आज उच्च शिक्षा की डिग्री मिली. 
शिक्षा के क्षेत्र में एक अलग स्थान रखने वाले देवकी देवी जैन मैमोरियल कालेज फार विमेन की कन्वोकेशन आज बहुत ही उत्साह, हर्षो उल्लास और पारंपरिक जोशो खरोश से सम्पन्न हुयी. छात्रायों के चेहरे पर एक चमक थी, उपलब्धी की, एक अलौकिक सी दिखने वाली ख़ुशी थी जो बता रही थी उनकी मेहनत और शिक्षा साधना की पूरी कहानी. विश्व विधालय अनुदान  आयोग के संयुक्त सचिव  डाक्टर सी .एस.मीना इस यादगारी अवसर पर मुख्य मेहमान थे. 
कालेज के चेयरमैन हीरा लाल जैन, अध्यक्ष केदार नाथ जैन, वरिशाथ उपाध्यक्ष राज कुमार जैन और शांति सरूप जैन, प्रबन्धक कमेरी के सचिव बिपिन जैन, मैनेजर सुरिन्दर कुमार जैन और अफिशिएटिंग प्रिंसिपल सुरिन्दर दूया भी इस अवसर मर मौजूद रहे. 
प्रिंसिपल मैडम ने जहाँ कालेज की खूबियों और उपलब्धियों की चर्चा की वहां चात्रयों और उनके माता पिता की प्रेरणा और मेहनत  को भी सराहा. उनहोंने इस अवसर पर अपने उन सहयोगियों को भी बहुत ही स्नेह और समान से याद किया जो किसी समय उनके साथ इसी कालेज में अध्यापन करते थे पर अचानक ही ज़िन्दगी की राहें जुदा होने के बाद भी उनका विकास जारी रहा और साथ ही बना रहा कालेज के साथ उनका स्नेह सम्बन्ध. आज वे बहुत उच्च पदों पर या फिर सफलता के शिखरों पर कार्य कर रहे हैं पर इतने ऊंचे मुकाम पर जाकर भी वे लोग अपने इस कालेज को नहीं भूले.. इस तरह के लोगों में से एक डाक्टर परम सैनी भी आज कन्वोकेशन के सुअवसर पर यहाँ मौजूद थे जिन्हें प्रिंसिपल मैडम ने उसी पुराने स्नेह के साथ पम्मी मैडम कह कर पुकारा. 
पौने चार सो से अधिक छात्रायों ने अपनी मेहनत और साधना को  डिग्री के रूप में मिली मान्यता का सम्मान लेकर इस दिन को अपनी ज़िन्दगी का एक यादगारी दिन बनाया. इन छात्रायों ने मीडिया  से बात करते हुए भी कहा की उन्हें आज अपनी साधना पर गर्व है और ऐसे लगता है कि जैसे उनकी ग्रैजूएशन की शिक्षा आज मुकम्मल हुयी है. इस शुभ अवसर पर किसी के चेहरे पर हंसी थी तो किसी  की आँखों में ख़ुशी के आंसू भी थे. यह यादगारी आयोजन बाद दोपहर तक जारी रहा. कन्वोकेशन रिपोर्ट:: रेक्टर कथूरिया // तस्वीरें:: संजय सूद  

सीएमसी की क्न्वोकेशन में पहुंचे डाक्टर एस एस गिल

चार कालेजों के छात्र छात्राओं को मिलीं डिग्रीयां
लुधियाना:10 मार्च:2012::शनिवार 10  मार्च को लुधियाना में दीक्षांत समारोहों का जोर रहा. क्रिश्चियन मेडिकल कालेज और अस्पताल अकेले सीएमसी शिक्षा संस्थान में ही चार  कालेजों की कन्वोकेशन हुई. कैलिवारी चर्च के ऐन सामने चिल्ड्रन पार्क  में हुए मुख्य समारोह में सी एम सी मेडिकल कालेज, कालेज आफ नर्सिंग, और कालेज आफ फिजियोथ्रेपी के छात्र छात्रायों के चेहरों पर आज एक नई रौनक थी. होठों पर मुस्कान और आँखों में चमक. आज मिल रही थी उनकी शिक्षा को वह मान्यता जिसके लिए उन्हों ने रात रात भर जाग कर पढाई की थी. 

इस मौके पर सी एम सी अस्पताल के डायरेक्टर डाक्टर अब्राहम जी थोमस  ने मेहमानों का स्वागत किया, प्रिंसिपल डाक्टर एस एम भटटी ने ग्रेजूएट और पोस्ट ग्रेजूएटस को शपथ दिलाई. इस दिन को मेडिकल शिक्षा में ऐतिहासिक बनाते हुए 5 ग्रेजूएट्स और 25 पोस्ट ग्रेजूएट्स को डिग्रियां दे कर सम्मानित किया गया. गीतिका गेरा,सबस्तियाँ मारकर मार्कर, आशा थोमस, डेविड वर्मा,सिंथिया सारह मैथ्यू,शरुतिका गुप्ता, जेन्नी मरियम  जोर्ज, जीबी जॉन, जिनकी मारिया पाल उन प्रमुख सौभाग्य शाली विजेतायों में से थे  जिन्हें आवर्ड व मैडल दे कर सम्मानित किया गया. डाक्टर शुबिधा गर्ग को डाक्टर जसवंत गिल अवर्स से सम्मानित किया गया.  डाक्टर सुप्रिया सेन को डाक्टर अब्राहिम जी थोमस आवर्ड से नवाज़ा गया.  
 इस दीक्षांत समारोह में उन्हें उनकी डिग्री का समान देने के लिए बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डाक्टर एस एस गिल मुख्य मेहमान बन कर आए हुए थे. उनहोंने छात्र छात्रयों को उनकी इस उप्लाब्दी पर मुबारक बाद दी उन्होंने कहा की सी एम् सी में आकर मुझे हमेशां प्रसन्नता का हसास हुआ क्यूंकि मेडिकल शक्षा के क्षेत्र में गुणवता को लगातार बढ़ाने वाले सी एम सी ने मानवता की सेवा के साथ साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी एक नया इतिहास रचा है. इस तरह कुल मिलकर यह समारोह पूरी तरह यादगारी बन गया. --रेक्टर कथूरिया 

सोमवार, मार्च 05, 2012

छ: फर्मों पर 10 वर्षों के लिए व्‍यावसायिक कारोबार पर रोक

व्‍यावसायिक कारोबार पर रोक लगाई रक्षा मंत्रालय ने
रक्षा मंत्रालय ने आज छ: फर्मों-मेसर्स सिंगापुर टैक्‍नोलॉजीज कायनेटिक्‍स लिमिटेड (एसटीके), मेसर्स इस्राइल मिलिट्री इंडस्‍ट्रीज लिमिटेड (आईएमआई), मेसर्स रिइनमेटॉल एयर डिफेंस (आरएडी), ज्‍यूरिख, मेसर्स कारपोरेशन डिफेंस, रूस (सीडीआर), मेसर्स टीएस किसान एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्‍ली और मेसर्स आरके मशीन टूल्‍स लिमिटेड, लुधियाना पर अगले 10 वर्ष की अवधि के लिए रक्षा मंत्रालय के अधीन रक्षा उत्‍पादन विभाग के आयुध निर्माणी बोर्ड के साथ अगले व्‍यावसायिक कारोबार पर रोक लगाने का निर्णय लिया है। 

इन फर्मों के विरुद्ध प्राप्‍त किए गए साक्ष्‍य के आधार पर केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) ने इन्‍हें काली सूची में डालने का सुझाव दिया था। इन फर्मों को कारण बताओ नोटिस जारी करके यह पूछा गया था कि आयुध निर्माणी के पूर्व महानिदेशक श्री सुदिप्‍तो घोष और अन्‍य के विरुद्ध रिश्‍वतखोरी के मामले में आरोप-पत्र दाखिल किए जाने के संबंध में क्‍यों नहीं उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाए। इन कंपनियों पर रोक लगाने का निर्णय उनके द्वारा दाखिल किए गए जवाबों पर विचार करने के बाद लिया गया। (पीआईबी)     05-मार्च-2012 20:04 IST

सोमवार, जनवरी 30, 2012

राष्ट्रिय विकास मंच बे दी नापू को श्रद्धांजलि

लुधियाना में अधिकतर नेता भूले राष्ट्रपिता का बलिदान दिवस
लुधियाना// 30 जनवरी// ब्यूरो रिपोर्ट: एक तरफ चुनावी शोर, एक दुसरे से आगे निकलने की होड़, वोट पक्के करने के लिए तरह तरह के हथकंडे और न जाने कितना कुछ. नियमों कानूनों और सख्तीयों के बावजूद गली गली में बही शराब की नदियों और न जाने इस तरह के कितने कुछ में बहुत से लोग, बहुत से दल भूल गए कि आज 30 जनवरी को महात्मा गाँधी जी की पुन्य तिथि भी है. कम से कम आज तो उन्हें याद कर लिया जाये. गौरतलब है कि महात्मा गाँधी जी को आज ही के दिन 1948 में गोली मार कर शहीद कर दिया गया था. हमसे उस महान व्यक्ति को छीन लिया गया था जिसने शांति की ताकत से ही ज़ुल्म और जबर की झुका दिया था.दुनिया की जानी मानी शक्ति के मालिक अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया था. अभी कुछ ही सप्ताह पूर्व अन्ना हजारे ने एक बार फिर साबित भी किया की अभी भी बापू की फिलासफी और अहिंसा के हथियार में दम है पर फिर भी 

लोग बापू को भूल गए. न तो कोई दल आगे आया और न ही कोई संगठन या नेता.
उस महान पिता के बलिदान दिवस को याद रखने में एक बार फिर पहल दिखाई राष्ट्रीय विकास मंच ने. उल्लेखनीय है कि मंच के राष्ट्रॉय प्रधान गुरिंदर सिंह सूद पुराने गांधीवादी नेता हैं. इस बार भी श्री सूद मंच के पदाधिकारियों, सदस्यों और अपने मित्रों को लेकर माता रानी चोंक स्थित गाँधी धाम पहुंचे और वहां मौजूद राष्ट्रपिता के बुत को बहुत ही स्नेह व सम्मान के साथ दूध से नहलाया. उस पर बहुत ही श्रद्धा से विशेष तौर पर मंगवाए गए फूल अर्पित किये और एक बार फिर संकल्प किया कि देश और समाज में शांति व बराबरी के लिए वे हर सम्भव कदम उठायेंगे लेकिन राष्ट्रपिता की ओर से दिखाए मार्ग पर अडिग रहते हुए. 
इस अवसर पर मंच के राष्ट्रीय महांमंत्री निर्दोष भारद्वाज, भी मौजूद थे और मुस्लिम समुदाय की प्रतिनिधिता करने आये मोहमद नदीम अंसारी भी. राम राज, सिमरजीत सिंह शैरी, हरजीत सिंह नंदा, कर्मजीत सिंह पप्पू, डाक्टर लाल सिंह, शिव राम सरोये, पप्पू सिंह, गुरप्रीत सिंह लवली, गुरमीत सिंह,  राजेश गाँधी, और कई अन्य सक्रिय सदस्य भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए.
 इस अवसर पर गाँधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें शहीद करने वाले नाथू राम गोडसे की सखत शब्दों में निंदा भी की गयी. महात्मा जी के मिशन को याद करते हुए वहां मौजूद गरीबों को चाये और बिस्कुट भी वितरित किये गए.          ###

रविवार, जनवरी 29, 2012

मामला डेरा सिरसा सिरसा में हाजिरी भरने का

खालसा पंचायत ने की ऐसे नेतायों को अकाल तख्त पर तलब करने की मांग
लुधियाना// 28 जनवरी// गुलशन कुमार
शिरोमणी खालसा पंचायत के नेतृत्व में पंथक संगठनों ने श्री अकाल तख्त से मांग की है कि वोटें प्राप्त करने के लिये जिन जिन सिख नेताओं नें डेरा सिरसा के प्रमुख बाबा की हाजिरी भरी है उन्हें श्री अकाल तख्त साहिब पर तलब किया जाये। इस सबंधी कन्वीनर शिरोमणी खालसा पंचायत भुपिंदर सिंह निमाणा ने कहा कि डेरा सिरसा प्रमुख के खिलाफ 17 मई 2007 को पांच तख्तों के जथेदार साहिबान द्वारा समूची सिख कौम की भावनाओं की तर्जमानी करता बायकाट का हुक्मनामा जारी किया गया था जिसमें डेरा प्रमुख के साथ धार्मिक , सभ्यिाचारक ,भाईचारक ,राजनीतिक सांझ न रखने क ा हुक्म जारी किया गया था। परन्तु गत दिनों जिन राजनीतिक पार्टीयों के नेताओं द्वारा हुक्मनामे की उलंघना की गई है। जिस में प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल प्रमुख है उनको तुरन्त आकल तख्त साहिब पर किया जाये। उन्होंने गत दिनों जो डेरा सिरसा प्रमुख को प्रकाश सिंह बादल और सुखबीर सिंह बादल दोनों बाप-बेटे नें डेरे प्रमुख से लिखती रूप में पिछली गलतियों की माफी मांगी गई है और कहा कि पंजाब में अकाली सरकार के सता में आने पर डेरे के प्रोग्रामों को खुली छूट दी जायेगी। स: निमाणा ने कहा कि अगर यह झूठ है तो बादल श्री अकाल तख्त साहिब पर पेश होकर इसका खंडऩ करें अगर यह सही है तो जथेदार साहिब श्री अकाल तख्त साहिब के हुक्मनामे से भगौड़े हुऐ इन नेताओं को अकाल तख्त पर तलब करके सख्त सजा दिलाये । खालसा पंचायत समूचे सिख जगत को भी बादल की दोगली नीति और लूम्बड़ चालों से बचनें की अपील करता है। स: निमाणा ने कहा कि फखरे-ऐ-कौम का खिताब हासिल करने वाले बादल नें डेरे पर जाकर सिखों के दिलों को ठेस पहुंचाई है और बाबा द्वारा किये गये ऐलान के पश्चात जथेदार साहिबान को बादल से स्पष्टीकरन लेने चाहिये। 

शनिवार, जनवरी 28, 2012

कडवी हकीकतों के रूबरू कराते सादगी भरे शब्द


गाँधी के गुजरात से मेहुल मकवाना की एक कविता 
जैसे मेरे पास भी एक योनि है…सोनी सोरी
जज साहब,
मेरे साल तेंतीस होने को आये लेकिन,
मैंने कभी कारतूस नहीं देखी है !
सिर्फ बचपन में फोड़े दीपावली के पटाखों की कसम,
आज तक कभी छुआ भी नहीं है बन्दुक को !
हा, घर में मटन-चिकन काटने इस्तेमाल होता,
थोडा सा बड़ा चाकू चलाने का महावरा है मुझे !
लेकिन मैंने कभी तलवार नहीं उठाई है हाथ में !
में तो कब्बडी भी मुश्किल से खेल पानेवाला बंदा हूँ,
मल्ल युद्द्द या फिर कलैरीपट्टू की तो बात कहा ?
प्राचीन या आधुनिक कोई मार्शल आर्ट नहीं आती है मुझे !
में तो शष्त्र और शाष्त्र दोनों के ज्ञान से विमुख हूं !
यह तक की लकड़ी काटने की कुल्हाड़ी भी पड़ोसी से मांगता हूँ !

लेकिन मेरे पास दो हाथ है जज साहब,
महनत से खुरदुरे बने ये दोनों हाथ मेरे अपने है !
पता नहीं क्यों लेकिन जब से मैंने यह सुना है,
मेरे दोनों हाथो में आ रही है बहुत खुजली !
खुजला खुजला के लाल कर दिए है मेने हाथ अपने !

और मेरे पास दो पैर है जज साहब !
बिना चप्पल के काँटों पे चल जाये और आंच भी न आये
एसे ये दोनों पैर, मेरे अपने है जज साहब !
और जब से मेंने सुना है
की दंतेवाडा कि आदिवासी शिक्षक सोनी सोरी की योनि में
पुलिसियों ने पत्थर भरे थे,
पता नहीं क्यों में बार बार उछाल रहा हु अपने पैर हवा में !
और खींच रहा हूं सर के बाल अपने !
जैसे मेरे पास भी एक योनि है और कुछ पैदा ही रहा हो उस से !

हा, मेरा एक सर भी है जज साहब,
हर १५ अगस्त और २६ जनवरी के दिन,
बड़े गर्व और प्यार दुलार से तिरंगे को झुकनेवाला
यह सर मेरा अपना है जज साहब !
गाँधी के गुजरात से हूं इसलिए
बचपन से ही शांति प्रिय सर है मेरा !
और सच कहू तो में चाहता भी हूं कि वो शांति प्रिय रहे !
लेकिन सिर्फ चाहने से क्या होता है ?

क्या छत्तीसगढ़ का हर आदिवासी,
पैदा होते हर बच्चे को नक्सली बनाना चाहता है ?
नहीं ना ? पर उसके चाहने से क्या होता है ?
में तो यह कहता हु की उसके ना चाहने से भी क्या होता है ?
जैसे की आज में नहीं चाहता हु फिर भी ...
मेरा सर पृथ्वी की गति से भी ज्यादा जोर से घूम रहा है !
सर हो रहा है सरफिरा जज साहब,
इससे पहले की सर मेरा फट जाये बारूद बनकर,
इससे पहले की मेरा खुद का सर निगल ले हाथ पैर मेरे ,
इससे पहले की सोनी की योनि से निकले पत्थर लोहा बन जाए,
और ठोक दे लोकतंत्र के पिछवाड़े में कोई ओर कील बड़ी,
आप इस चक्रव्यूह को तोड़ दो जज साहब !
रोक लो आप इसे !
इस बिखरते आदिवासी मोती को पिरो लो अपनी सभ्यता के धागे में !
वेसे मेरे साल तेंतीस होने को आये लेकिन,
मैंने कभी कारतूस नहीं देखी !
कभी नहीं छुआ है बन्दुक को ,
नहीं चलाई है तलवार कभी !
और ना ही खुद में पाया है
कोई जुनून सरफरोशी का कभी !
– मेहुल मकवाना, अहमदाबाद, गुजरात
94276 32132 and 84012 93496



मंगलवार, जनवरी 10, 2012

करोडपति हो कर भी भरा साईकल पर नामांकन

सिद्धू की धर्मपत्नी ने भरा अनोखे अंदाज से नामंकन 
        गजिंदर सिंह किंग, अमृतसर 10 जनवरी, 2012
अमृतसर में सासंद नवजोत सिंह सिद्धू की धर्मपत्नी डाक्टर नवजोत कौर सिद्धू ने अपना नामंकन पत्र आज अमृतसर के पूर्वी हलके से भरा. साथ ही यह नामंकन पत्र भरने के लिए नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी खुद आपने घर से साइकिल पर गए. अमृतसर में नामंकन पत्र का दौर और एक अलग ही अंदाज़ का नज़ारा देखने को मिला. आज जब नवजोत सिंह सिद्धू एक अलग ही अंदाज़ में दिखे, दरअसल सासंद नवजोत सिंह सिधु की पत्नी नवजोत कौर अमृतसर के पूर्वी हलके से विधान सभाके चुनाव लड़ रही है, जिस के चलते आज वह नामंकन पत्र भरने के लिए साइकिलपर सवार हो कर गयी, इस मौके पर बी.जे.पी. के कई बड़े नेता उन के साथ मौजूद थे. यह ही नहीं इस मौके पर नवजोत सिंह सिद्धू भी अपनी पत्नी के साथ थे. इस मौके पर जब नवजोत कौर ने अपना नामंकन पत्र भरा और जिस मेंउन्होंने 11,50,030 का इन्कम टैक्स भरा है, जिन में नकदी और जेवरात की कीमत 77,27,469.44 बतायी है. साथ ही उन के पास व्यापारिक और अव्यापारिक ज़मीन की कीमत 2,38,94,000 की है.  सब से हैरान कर देने वाली बात यह है, कि नवजोत कौर के नाम पर कोई भी वाहन नहीं है. यह ही नहीं इस के मुकाबले में उन के पति 34,17,892 रूपए की इन्कम टैक्स भरी है और उन के पास 31 लाख रूपए नकद है और सिद्धू के पास अपनी निजी 6 लक्सरी गाड़ियां है और उनके नकदी, जेवरात और गाड़ियों की कीमत 7,13,16,511 रूपए है, साथ ही सिधु के पास ज़मीन जायदाद की कीमत भी 12,14,50000 रूपए है, कुल मिला कर सिद्धू परिवार जो कि अपने आप को साइकिल पर आता हुआ दिखा रहा है, लेकिन है एक करोड़ पति.वहीँ जब उन की पत्नी से यह सवाल पूछा गया कि साइकिल पर आने का उन का मकसद क्या है, तो उन्होंने इस के लिए महंगाई को जिम्मेदार बताया और कहा कि साइकिल सहेत के लिए अच्छा है, वहीँ उन्होंने कहा, कि आने वाले विधान सभा चुनाव में वह लोगों की सेवा करेंगी और जो नशे की सब से बड़ी समस्या है, उन को वह हल करेंगी.साथ ही यह अमृतसर का एक नया हलका है औरवह यहाँ पर जो गंदे पानी की समस्या है, उस को हल कर आम जनता को अपने साथ ले कर चलेंगी वहीँ इस मौके पर सांसद नवजोत सिंह सिद्धू का कहना है कि यह उनके लिए फख्र की बात है, कि उन को गुरु नगरी की सेवा करने का मौका मिला है. साथ ही उन का कहना है, कि वह इलेक्शन कमिशन की तारीफ़ करते है, कि जो इस बार के चुनाव हो रहे है, इस में काले धन के साथ आम आदमी को लालच नहीं दिया जा सकता और उम्मीदवार अपने गुण वक्ता के आधार पर आगे आ रहा है और इस बार के चुनाव अपने आप में एक नई बात है और अच्छे कर्म और अच्छे इंसान इन चुनावों में सामने आ रहे है. वहीँ इस मौके पर कांग्रेस में पैदा हुईबगावत पर उन्होंने कहा, कि आज पंजाब में आज़ाद कांग्रेस पार्टी की शुरुआतहुई है फिलहाल राजनीति के क्षेत्र में जहाँ नवजोत सिंह सिद्धू अकेले थे,वहीँ आज उन की पत्नी भी राजनीति के मैदान में उतर आयी है और अब देखना यह होगा, कि राजनीति में नवजोत सिंह सिद्धू  की पत्नी कितनी कारगर साबित होती है और जनता के अखाड़े में अब यह देखना है, कि उन को कितनी कामयाबी मिलती है.