सोमवार, मार्च 21, 2011

प्रोफैसर जगमोहन सिंह ने भी किया सावधान

कुछ बातें वंशानुगत होती हैं, खून में रची होती हैं. जन्म के साथ ही आ जाती हैं. दुनियादारी और ज़िन्दगी के रंग देखते देखते  इसका अहसास कई बार होता है. बहुत से लोग हैं जो देश और जनता की चिंता करते हैं, देश हित के लिए अपना हर सुख बलिदान कर देते हैं और आवश्यकता पढने पर जान की कुर्बानी भी दे देते हैं. उनके बाद उनके भाई, या बेटे बेटियां भी इसी राह पर चल पड़ते हैं. दूसरी तरफ कुछ लोग बुरा करते हैं तो उनके परिवारों में भी यह बुराई लगातार पढ़ी दर पीढ़ी चलती है. शहीद भगत सिंह को उनके चाचा अजीत सिंह ने प्रभावित किया और पूरे परिवार ने उनके इस अहसास को और मजबूत किया. शहीद भगत सिंह ने देश और आजादी के लिए हंसते हंसते फांसी का फंदा चूम लिया. दूसरी तरफ हम इस बात पर झगडा करने लगे की भगत इंह हिन् दू था या सिख ?इस झगडे में जारी वाद वोइवादों में हम उस महान शहीद के विचारों को भी भूल गए.आज देश के लिए 
क्या करना अवश्यक है इसका अहसास भी याद नहीं रहा. मैं आज कुछ पुराना रिकार्ड देख रहा था तो सामने  आई एक वीडियो.यह तब की थी जब मैं एक चैनल के न्यूज़ डेस्क को देखता था. इसे देखा तो बहुत कुछ याद आया. कई पुरानी बातें बिजली की तरह जहन में कौंध गयीं.बातें. डेड दो बरस  पूर्व बीटी बैंगन का विवाद  

बहुत ही तेज़ी से उठा था. उस वक्त इसका विरोध करने के लिए लुछ लोग खुल कर सामने आये. इन लोगों में शहीद भगत सिंह के भांजे प्रोफैसर जगमोहन सिंह भी थे. गौरतलब है कि शहीद भगत सिंह के विचारों को आम इंसान तक लेजाने के लिए जिन गिने चुने लोगों ने सक्रीय हो कर अपना योगदान दिया उनमें प्रोफैसर जगमोहन सिंह का नाम भी गर्व स्वे लिया जाता है. करीब डेड-दो वर्ष पूर्व उन्होंने क्या कहा देखिये  इस वीडियो में क्यूंकि यह आज भी पूरी तरह प्रासंगिक है.--रेक्टर कथूरिया